आज मुझे नेट से बहुत ही अच्छी जानकारी मिली है जो शायद आपको भी न पता हो
छम... छम... छम... पायल की ऐसी आवाज किसी के भी मन बरबस ही लुभा लेती है। जब कोई लड़की पायल पहनकर चलती है तो उससे निकलने वाला मधुर स्वर किसी संगीत से कम प्रतीत नहीं होता। सामान्यत: सभी लड़कियां पायल पहनती हैं। विवाहित महिलाओं के लिए तो यह आवश्यक होता है कि वे पायल पहनें।
महिलाओं के लिए पायल पहनना काफी महत्वपूर्ण माना गया है। इसके पीछे कई कारण मौजूद हैं।
पायल महिलाओं के सोलह श्रंगार में अहम भूमिका निभाती है। पायल पहनने के पीछे यह वजह है कि प्राचीन काल में महिलाओं को पायल एक संकेत मात्र के लिए पहनाई जाती थी। जब घर के सभी सदस्य एक साथ बैठे होते थे तब यदि कोई पायल पहनी स्त्री वहां आती थी तो उसकी छम-छम आवाज से सभी को अंदाजा हो जाता कि कोई महिला उनकी ओर आ रही है। जिससे वे सभी व्यवस्थित रूप से आने वाली महिला का स्वागत कर सके, उसे सम्मान दे सके।
पायल की छम-छम अन्य लोगों के लिए एक इशारा ही है, इसकी आवाज से सभी को यह एहसास हो जाता है कि कोई महिला उनके आसपास है अत: वे शालीन और सभ्य व्यवहार करें। स्त्री के सामने किसी तरह की कोई अभद्रता ना हो जाए। ऐसी सारी बातों को ध्यान में रखते हुए लड़कियों के पायल पहनने की परंपरा लागू की गई। साथ ही पायल की आवाज से घर में नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव कम हो जाता है और दैवीय शक्तियों सक्रीय रहती है।
पुराने समय में विवाह के बाद पति के घर में बहु के आने के लिए पूरी स्वतंत्रता नहीं रहती थी। साथ ही वह किसी से खुलकर बात नहीं कर पाती थी। ऐसे में जब वह घर में कही आती-जाती तो बिना उसके बताए भी पायल की छम-छम से सभी सदस्य समझ जाते थे कि उनकी बहु वहां आ रही है।
पायल की धातु हमेश पैरों से रगड़ाती रहती है जो स्त्रियों की हड्डियों के लिए काफी फायदेमंद है। इससे उनके पैरों की हड्डी को मजबूती मिलती है। साथ ही पायल पहनने से स्त्रियों का आकर्षण कहीं अधिक बढ़ जाता है।
विवाह में कई परंपराओं का निर्वहन किया जाता है। कुछ परंपराएं धर्म से जुड़ी हैं तो कुछ प्रथाएं धर्म और विज्ञान से। सामान्यत: दूल्हा-दुल्हन को विवाह के दिनों पान खिलाने की परंपरा प्रचलित है।यूं तो पान को मुख का आभूषण माना जाता है और काफी लोगों का शौक होता है पान खाना। सभी मांगलिक कार्यों में भोजन के बाद पान खिलाया जाता है। पान भगवान को भी अर्पित किया जाता है। पूजन आदि में पान भगवान के मुख शुद्धि कराने के लिए मुख्य रूप से उपयोग किया जाता है।
पान एक औषधि भी है, इसे नियमित रूप से खाने पेट संबंधी कई बीमारियां आपसे दूर ही रहती है। इससे अपच, कब्ज, एसीडीटी जैसी समस्या नहीं होती।विवाह के दौरान दूल्हा और दुल्हन को कई तरह के व्यंजन खाने पड़ते हैं, कई बार कुछ भोज्य पदार्थ कब्ज या गैस की तकलीफ देना शुरू कर देता है, ऐसे में नियमित रूप से पान खाने से ऐसी कोई समस्या नहीं और नवयुगल का पेट ठीक रहता है और पान खाने से मुख की सुंदरता भी बढ़ती है। पान बनाने में उपयोग की जाने वाली सामग्री पेट को साफ रखने में अहम भूमिका निभाती है।इसी वजह से विवाह में दूल्हा-दुल्हन को अनिवार्य रूप से पान खिलाया जाता है
शादी... विवाह... में सिर्फ दूल्हा-दुल्हन ही नहीं बल्कि दोनों के परिवार का हर सदस्य उत्साह और उमंग के साथ खुशियां मनाता है। एक ओर जहां शादी के कई पारंपरिक रीति-रिवाज जुड़े हैं, वहीं आधुनिक शादियों में दूल्हे के जूते चूराने की भी एक परंपरा देखने में आती है। इस परंपरा का उद्देश्य होता है कि दोनों परिवारों के मध्य आपसी प्रेम बना रहे और समारोह में थोड़ी हंसी-मस्ती का माहौल बन जाए। इस परंपरा में दूल्हे के जूते दुल्हन की बहनें और सहेलियां चुरा लेती हैं। जूते लौटाने पर बदले दूल्हे को उन्हें रुपए देने होते हैं। इस प्रथा एक खेल की तरह ही है। इसके लिए दुल्हन की बहनें और सहेलियां पूरी कोशिश करती हैं कि किसी भी तरह दूल्हे के जूते हाथ आ जाए और दूल्हे के भाई और दोस्त यह कोशिश करते हैं कि दूल्हे के जूते चोरी ना हो सके। यह दोनों ही परिवार की प्रतिष्ठा का मुद्दा भी होता है।
दुनियाभर में अधिकांश लोग अपनी कलाई पर घड़ी बांधते हैं। अधिकतर पुरुष बाएं हाथ यानि लेफ्ट हैंड पर ही घड़ी बांधते हैं, जबकि बहुत कम पुरुष सीधे हाथ में घड़ी बांधते हैं। वहीं महिलाएं सीधे हाथ पर घड़ी बांधना अधिक पसंद करती हैं।
हालांकि यह परंपरा किसी धर्म से संबंधित नहीं फिर भी यह काफी प्रचलित है। आखिर इसकी क्या वजह है कि पुरुष लेफ्ट हैंड की कलाई पर ही घड़ी बांधते हैं। इसके पीछे का तर्क यह है कि हम अधिकांश कार्य सीधे हाथ से ही करते हैं (लेफ्ट हैंडेड को छोड़कर)। इन कार्यों में हर प्रकार का कार्य शामिल है। कुछ भारी कार्य होते हैं तो कुछ जोखिम भरे, तो कुछ कार्य झटके वाले होते हैं। यदि ऐसे में सीधे हाथ में घड़ी बांधी जाए और इस प्रकार के कार्य किए जाते हैं तो निश्चित ही घड़ी खराब हो जाएगी। यदि कोई व्यक्ति लेखन आदि कार्य भी सीधे हाथ से करता है तब भी सीधे हाथ में घड़ी बांधना काफी परेशानियों भरा ही होगा। बाएं हाथ में घड़ी हमेशा सुरक्षित ही रहती है और हर परिस्थिति में समय देखने के लिए सुविधाजनक है।
हिंदू धर्म में अधिकांश कार्य सीधे हाथ से ही करने का विधान है। पूजादि कार्यों में भी सीधा हाथ ही उपयोग किया जाता है। ऐसे में पूजनकर्म में घड़ी से किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न न हो इस वजह से भी घड़ी सीधे हाथ में ही पहनना पसंद किया जाता है।
सामान्यत: ऐसी मान्यता है कि रात के समय किसी लड़की को अकेले घर से बाहर नहीं भेजना चाहिए। पुराने समय में इस बात का सख्ती से पालन कराया जाता था। साथ ही अमावस की रात को तो खासतौर पर लड़की को अकेले घर से बाहर निकलना मना किया जाता था।
ऐसा माना जाता है कि अमावस की रात को नकारात्मक शक्तियां अधिक सक्रिय रहती हैं जो कि लड़कियों को बहुत ही जल्द अपने प्रभाव में ले लेती हैं। यहां नकारात्मक शक्ति से अभिप्राय है कि आसुरी प्रवृत्तियां। अमावस की रात बुरी शक्तियां अपने पूरे बल में होती हैं। इन शक्तियों को लड़कियां पूरी तरह प्रभावित करती हैं। जिससे वे उन्हें अपने प्रभाव में लेने की कोशिश करती हैं। इन शक्तियों के प्रभाव में आने के बाद लड़कियों का मानसिक स्तर व्यवस्थित नहीं रह पाता और उनके पागल होने का खतरा बढ़ जाता है।
विज्ञान के अनुसार अमावस और हमारे शरीर का गहरा संबंध है। अमावस का संबंध चंद्रमा से है। हमारे शरीर में 70 प्रतिशत पानी है जिसे चंद्रमा सीधे-सीधे प्रभावित करता है। ज्योतिष में चंद्र को मन का देवता माना गया है। अमावस के दिन चंद्र दिखाई नहीं ऐसे में जो लोग अति भावुक होते हैं उन पर इस बात का सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है।
लड़कियां मन से बहुत ही भावुक होती है। जब चंद्र नहीं दिखाई देता तो ऐसे में हमारे शरीर के पानी में हलचल अधिक बढ़ जाती है। जो व्यक्ति नकारात्मक सोच वाला होता है उसे नकारात्मक शक्ति अपने प्रभाव में ले लेती है। इन्हीं कारणों से अमावस की रात को लड़कियों को अकेले बाहर जाने के लिए मना किया जाता था।
चंद्रमा हमारे शरीर के जल को किस प्रकार प्रभावित करता है इस बात का प्रमाण है समुद्र का ज्वारभाटा। पूर्णिमा और अमावस के दिन ही समुद्र में सबसे अधिक हलचल दिखाई देती है क्योंकि चंद्रमा जल को शत-प्रतिशत प्रभावित करता है।
छम... छम... छम... पायल की ऐसी आवाज किसी के भी मन बरबस ही लुभा लेती है। जब कोई लड़की पायल पहनकर चलती है तो उससे निकलने वाला मधुर स्वर किसी संगीत से कम प्रतीत नहीं होता। सामान्यत: सभी लड़कियां पायल पहनती हैं। विवाहित महिलाओं के लिए तो यह आवश्यक होता है कि वे पायल पहनें।
महिलाओं के लिए पायल पहनना काफी महत्वपूर्ण माना गया है। इसके पीछे कई कारण मौजूद हैं।
पायल महिलाओं के सोलह श्रंगार में अहम भूमिका निभाती है। पायल पहनने के पीछे यह वजह है कि प्राचीन काल में महिलाओं को पायल एक संकेत मात्र के लिए पहनाई जाती थी। जब घर के सभी सदस्य एक साथ बैठे होते थे तब यदि कोई पायल पहनी स्त्री वहां आती थी तो उसकी छम-छम आवाज से सभी को अंदाजा हो जाता कि कोई महिला उनकी ओर आ रही है। जिससे वे सभी व्यवस्थित रूप से आने वाली महिला का स्वागत कर सके, उसे सम्मान दे सके।
पायल की छम-छम अन्य लोगों के लिए एक इशारा ही है, इसकी आवाज से सभी को यह एहसास हो जाता है कि कोई महिला उनके आसपास है अत: वे शालीन और सभ्य व्यवहार करें। स्त्री के सामने किसी तरह की कोई अभद्रता ना हो जाए। ऐसी सारी बातों को ध्यान में रखते हुए लड़कियों के पायल पहनने की परंपरा लागू की गई। साथ ही पायल की आवाज से घर में नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव कम हो जाता है और दैवीय शक्तियों सक्रीय रहती है।
पुराने समय में विवाह के बाद पति के घर में बहु के आने के लिए पूरी स्वतंत्रता नहीं रहती थी। साथ ही वह किसी से खुलकर बात नहीं कर पाती थी। ऐसे में जब वह घर में कही आती-जाती तो बिना उसके बताए भी पायल की छम-छम से सभी सदस्य समझ जाते थे कि उनकी बहु वहां आ रही है।
पायल की धातु हमेश पैरों से रगड़ाती रहती है जो स्त्रियों की हड्डियों के लिए काफी फायदेमंद है। इससे उनके पैरों की हड्डी को मजबूती मिलती है। साथ ही पायल पहनने से स्त्रियों का आकर्षण कहीं अधिक बढ़ जाता है।
विवाह में कई परंपराओं का निर्वहन किया जाता है। कुछ परंपराएं धर्म से जुड़ी हैं तो कुछ प्रथाएं धर्म और विज्ञान से। सामान्यत: दूल्हा-दुल्हन को विवाह के दिनों पान खिलाने की परंपरा प्रचलित है।यूं तो पान को मुख का आभूषण माना जाता है और काफी लोगों का शौक होता है पान खाना। सभी मांगलिक कार्यों में भोजन के बाद पान खिलाया जाता है। पान भगवान को भी अर्पित किया जाता है। पूजन आदि में पान भगवान के मुख शुद्धि कराने के लिए मुख्य रूप से उपयोग किया जाता है।
पान एक औषधि भी है, इसे नियमित रूप से खाने पेट संबंधी कई बीमारियां आपसे दूर ही रहती है। इससे अपच, कब्ज, एसीडीटी जैसी समस्या नहीं होती।विवाह के दौरान दूल्हा और दुल्हन को कई तरह के व्यंजन खाने पड़ते हैं, कई बार कुछ भोज्य पदार्थ कब्ज या गैस की तकलीफ देना शुरू कर देता है, ऐसे में नियमित रूप से पान खाने से ऐसी कोई समस्या नहीं और नवयुगल का पेट ठीक रहता है और पान खाने से मुख की सुंदरता भी बढ़ती है। पान बनाने में उपयोग की जाने वाली सामग्री पेट को साफ रखने में अहम भूमिका निभाती है।इसी वजह से विवाह में दूल्हा-दुल्हन को अनिवार्य रूप से पान खिलाया जाता है
शादी... विवाह... में सिर्फ दूल्हा-दुल्हन ही नहीं बल्कि दोनों के परिवार का हर सदस्य उत्साह और उमंग के साथ खुशियां मनाता है। एक ओर जहां शादी के कई पारंपरिक रीति-रिवाज जुड़े हैं, वहीं आधुनिक शादियों में दूल्हे के जूते चूराने की भी एक परंपरा देखने में आती है। इस परंपरा का उद्देश्य होता है कि दोनों परिवारों के मध्य आपसी प्रेम बना रहे और समारोह में थोड़ी हंसी-मस्ती का माहौल बन जाए। इस परंपरा में दूल्हे के जूते दुल्हन की बहनें और सहेलियां चुरा लेती हैं। जूते लौटाने पर बदले दूल्हे को उन्हें रुपए देने होते हैं। इस प्रथा एक खेल की तरह ही है। इसके लिए दुल्हन की बहनें और सहेलियां पूरी कोशिश करती हैं कि किसी भी तरह दूल्हे के जूते हाथ आ जाए और दूल्हे के भाई और दोस्त यह कोशिश करते हैं कि दूल्हे के जूते चोरी ना हो सके। यह दोनों ही परिवार की प्रतिष्ठा का मुद्दा भी होता है।
दुनियाभर में अधिकांश लोग अपनी कलाई पर घड़ी बांधते हैं। अधिकतर पुरुष बाएं हाथ यानि लेफ्ट हैंड पर ही घड़ी बांधते हैं, जबकि बहुत कम पुरुष सीधे हाथ में घड़ी बांधते हैं। वहीं महिलाएं सीधे हाथ पर घड़ी बांधना अधिक पसंद करती हैं।
हालांकि यह परंपरा किसी धर्म से संबंधित नहीं फिर भी यह काफी प्रचलित है। आखिर इसकी क्या वजह है कि पुरुष लेफ्ट हैंड की कलाई पर ही घड़ी बांधते हैं। इसके पीछे का तर्क यह है कि हम अधिकांश कार्य सीधे हाथ से ही करते हैं (लेफ्ट हैंडेड को छोड़कर)। इन कार्यों में हर प्रकार का कार्य शामिल है। कुछ भारी कार्य होते हैं तो कुछ जोखिम भरे, तो कुछ कार्य झटके वाले होते हैं। यदि ऐसे में सीधे हाथ में घड़ी बांधी जाए और इस प्रकार के कार्य किए जाते हैं तो निश्चित ही घड़ी खराब हो जाएगी। यदि कोई व्यक्ति लेखन आदि कार्य भी सीधे हाथ से करता है तब भी सीधे हाथ में घड़ी बांधना काफी परेशानियों भरा ही होगा। बाएं हाथ में घड़ी हमेशा सुरक्षित ही रहती है और हर परिस्थिति में समय देखने के लिए सुविधाजनक है।
हिंदू धर्म में अधिकांश कार्य सीधे हाथ से ही करने का विधान है। पूजादि कार्यों में भी सीधा हाथ ही उपयोग किया जाता है। ऐसे में पूजनकर्म में घड़ी से किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न न हो इस वजह से भी घड़ी सीधे हाथ में ही पहनना पसंद किया जाता है।
सामान्यत: ऐसी मान्यता है कि रात के समय किसी लड़की को अकेले घर से बाहर नहीं भेजना चाहिए। पुराने समय में इस बात का सख्ती से पालन कराया जाता था। साथ ही अमावस की रात को तो खासतौर पर लड़की को अकेले घर से बाहर निकलना मना किया जाता था।
ऐसा माना जाता है कि अमावस की रात को नकारात्मक शक्तियां अधिक सक्रिय रहती हैं जो कि लड़कियों को बहुत ही जल्द अपने प्रभाव में ले लेती हैं। यहां नकारात्मक शक्ति से अभिप्राय है कि आसुरी प्रवृत्तियां। अमावस की रात बुरी शक्तियां अपने पूरे बल में होती हैं। इन शक्तियों को लड़कियां पूरी तरह प्रभावित करती हैं। जिससे वे उन्हें अपने प्रभाव में लेने की कोशिश करती हैं। इन शक्तियों के प्रभाव में आने के बाद लड़कियों का मानसिक स्तर व्यवस्थित नहीं रह पाता और उनके पागल होने का खतरा बढ़ जाता है।
विज्ञान के अनुसार अमावस और हमारे शरीर का गहरा संबंध है। अमावस का संबंध चंद्रमा से है। हमारे शरीर में 70 प्रतिशत पानी है जिसे चंद्रमा सीधे-सीधे प्रभावित करता है। ज्योतिष में चंद्र को मन का देवता माना गया है। अमावस के दिन चंद्र दिखाई नहीं ऐसे में जो लोग अति भावुक होते हैं उन पर इस बात का सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है।
लड़कियां मन से बहुत ही भावुक होती है। जब चंद्र नहीं दिखाई देता तो ऐसे में हमारे शरीर के पानी में हलचल अधिक बढ़ जाती है। जो व्यक्ति नकारात्मक सोच वाला होता है उसे नकारात्मक शक्ति अपने प्रभाव में ले लेती है। इन्हीं कारणों से अमावस की रात को लड़कियों को अकेले बाहर जाने के लिए मना किया जाता था।
चंद्रमा हमारे शरीर के जल को किस प्रकार प्रभावित करता है इस बात का प्रमाण है समुद्र का ज्वारभाटा। पूर्णिमा और अमावस के दिन ही समुद्र में सबसे अधिक हलचल दिखाई देती है क्योंकि चंद्रमा जल को शत-प्रतिशत प्रभावित करता है।
बहुत बढिया जानकारी दी आपने अब हम किसी को आसानी से समझा सकगे ...जानकारी के लिए बहुत बहुँत धन्यबाद |
जवाब देंहटाएंrochak jaankariyan mili..
जवाब देंहटाएं.......................
क्रिएटिव मंच आप को हमारे नए आयोजन
'सी.एम.ऑडियो क्विज़' में भाग लेने के लिए
आमंत्रित करता है.
यह आयोजन कल रविवार, 12 दिसंबर, प्रातः 10 बजे से शुरू हो रहा है .
आप का सहयोग हमारा उत्साह वर्धन करेगा.
आभार
काफ़ी रोचक जानकारी।
जवाब देंहटाएंacchi jankari hai
जवाब देंहटाएंkafi Rochak jankari hai
जवाब देंहटाएं